WMO की चेतावनी अगले पांच वर्षों में से एक साल मानव इतिहास का सबसे गर्म साल होगा

कम से कम एक वर्ष में तापमान में वृद्धि की 1.5 डिग्री की सीमा पार होने की सम्भावना 66 प्रतिशत

श्रुति व्यास
धरती को बचाना है तो दुनिया के औसत तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोत्तरी की सीमा को कतई पार नहीं होने दे। दुनिया के देशों ने समस्या की गंभीरता को समझा हुआ है। लेकिन टारगेट बहुत कठिन ,क्योंकि आबादी, माल , सेवाओं की मांग और भू-राजनैतिक तनाव बढ़ रहे हैं। 2015 में पेरिस समझौते पर दस्तखत करके संकल्प भी लिया था कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व दुनिया का जो औसत तापमान था, उसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि नहीं होने दी जाएगी। परन्तु  समय बीतता गया और समझ आने लगा है कि इस संकल्प को पूरा करना आसान नहीं होगा।
तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री से कम रखने के पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट के लक्ष्य पर सभी देश मिल कर काम करें तो इस सीमा के भीतर रह सकते हैं। ज़रूरी होगा कि हर साल 3.5 बिलियन से लेकर 5.4 बिलियन टन के बीच कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण से बाहर किया जाए। अगले 30 सालों में इस मात्रा को 4.7 बिलियन से लेकर 9.8 बिलियन टन करना होगा। इस साल नवम्बर में 28वीं यूनाइटेड नेशन्स क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस आयोजित होगी,जिसमें दुनिया भर की सरकारें मिल-बैठ कर यह विचार करेंगी कि पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों को पाने की दिशा में हम कितना आगे बढे। 
17 मई 2023 को संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गेनाईजेशन (WMO) ने चेतावनी दी  कि अगले पांच वर्षों में कम से कम एक वर्ष में तापमान में वृद्धि की 1.5 डिग्री की सीमा पार होने की सम्भावना 66 प्रतिशत है। संगठन का यह भी कहना है कि अगर 1.5 डिग्री की सीमा पार न भी हुई तब भी यह पक्का है कि अगले पांच सालों में से एक साल मानव इतिहास का सबसे गर्म साल होगा। 
वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गेनाईजेशन के अनुसार एल नीनो सदर्न ऑक्सीलेशन, जिससे आशय है प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से के गर्म और ठंडे होना का प्राकृतिक चक्र। इस चक्र का दुनिया के मौसम पर व्यापक असर होता है। जब प्रशांत महासागर का पानी ठंडा होता है तब उसे ला नीना कहा जाता है। पिछले तीन सालों से यही हो रहा था, जिसके कारण पूरी दुनिया में तापमान कम था। इस साल चक्र का दूसरा हिस्सा, जिसमें पानी गर्म होता है और जिसे एल नीनो कहा जाता, शुरू होने वाला है। ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर के कारण धरती पहले से ही गर्म होती जा रही है। एल नीनो तापमान को और बढाएगी जिसके कारण इस साल जला देने वाली गर्मी पड़ेगी। अभी तक सबसे गर्म साल 2016 भी एल नीनो का साल था।