अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा लेने आए हनुमान जी को लव और कुश ने बंदी बना कर इसी स्थान पर बैठा लिया था
By. नरेंद्र सेठी
अमृतसर,15 अक्टूबर। अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर में हर वर्ष की तरह लगने वाला विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला नवरात्र के पहले दिन से शुरू हो गया। इस मेले में नवजात शिशु से लेकर नौजवान तक लंगूर बनते हैं और पूरे दस दिनों तक ब्रह्मचार्य व्रत के साथ-साथ पूरे सात्विक जीवन को व्यतीत करते हैं। इस दस दिवसीय व्रत का समापन दशहरे वाले दिन होता है।
कटाक्ष पर वनवास के लिए भेज दिया
जानकारी के अनुसार अमृतसर का विश्व प्रसिद्ध बड़ा हनुमान मंदिर में जो श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है, वह अपने आप ही यहां पर प्रकट हुई थी। इसके बारे में कहा जाता है कि जब श्री राम ने सीता माता को एक धोबी के कटाक्ष पर वनवास के लिए भेज दिया था। तो उन्होंने उस समय महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में पनाह ली थी और वहीं पर अपने दो पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था।
हनुमान जी की प्रतिमा स्वयं प्रकट
इस बीच श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया और अपना घोड़ा विश्व को विजयी करने के लिए छोड़ दिया। जिसे इसी स्थान पर लव और कुश ने पकड़ कर बरगद के पेड़ के साथ बांध दिया। इस पर जब श्री हनुमान जी घोड़ा आजाद करवाने के लिए पहुंचे तो लव और कुश ने उन्हें भी बंदी बना कर इसी स्थान पर बैठा दिया। इसके बाद ही यहां पर श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हो गई।
नवरात्रि में लंगूर का बाना पहन कर
ऐसी मान्यता है, कि जो कोई भी इस हनुमान मंदिर से अपने मन की मुराद मांगता है, वह पूरी हो जाती है और मुराद पूरी होने पर भगत नवरात्रि में लंगूर का बाना पहन कर यहां हर रोज सुबह-शाम माथा टेकने के लिए आते हैं । हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लंगूरों का मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। जिनकी मुरादें पूरी हुई और हनुमान जी ने जिन्हें पुत्र की दात बख्शी वे अपने बच्चों को लेकर यहां लंगूर वेश में लेकर आए और माथा टेकते हैं।
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