असुरों का संहार कर शांत रूप में नील पर्वत पर विराजमान हुई थी माँ चंडी

धर्म नगरी में आकर जो भी पवित्र स्थानों के दर्शन कर लेता है उनके कष्ट दूर हो जाते हैं

By. कुलदीप सिंह

हरिद्वार,17अक्टूबर।धर्मनगरी  हरिद्वार में इन दिनों नवरात्र की धूम है भक्त माँ के दर्शन के लिए लम्बी लम्बी यात्रा करके मंदिरों में आ रहे है और माँ से मुरादे मांग रहे है। भक्त मानते है कि माँ उनकी सभी कामनाओं को पूरा करती है और मन चाह वरदान देती है। हरिद्वार में नील पर्वत की चोटी पर सिद्धपीठ माँ चंडी देवी का मंदिर में माँ के दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ रही है।माँ चंडी देवी का प्रादुर्भाव राक्षसों के वध के लिए हुआ था और इस पर्वत पर माँ स्वयं प्रकट हुई है।

माँ चंडी इसी नील पर्वत पर विराजमान

बताया जाता है की देवासुर संग्राम के समय देवताओं की प्रार्थना पर माँ चंडी देवी का प्राकट्य हुआ था  ।माता चंडी देवी ने देवताओं के आग्रह पर असुरों का संहार किया था और यही पर विराजमान हो गयी थी। तब से शांत रूप में माँ चंडी इसी नील पर्वत पर विराजमान है। माँ चंडी के इस मंदिर में भक्त बारह माह आते है और मुरादे मांगते है और माँ चंडी देवी सभी कि मनोकामना पूरी करती  है।नवरात्र में माँ चंडी देवी मंदिर में नौ दिनों तक जो भी पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है ।

पवित्र स्थानों के दर्शन

हरिद्वार वो स्थान है जिसका पुराणों में वर्णन मिलता है। यहाँ कनखल में भगवान शिव का स्थान है तो माँ मायादेवी माँ मनसा देवी और माँ चंडी देवी का स्थान भी है। यह सभी स्थान सिद्धपीठ है। यही शंकर की जटाओं से निकली मां गंगा भी है और इस धर्म नगरी में आकर जो भी इन पवित्र स्थानों के दर्शन कर लेता है उनके सभी कष्ट दूर हो जाते है।

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