नई शिक्षा नीति में सांकेतिक भाषा को एक विषय के रूप में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया
By. राजकुमार सिंह
चण्डीगढ़,2 नवम्ब। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महसूस किया कि बधिर और मूक लोगों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा दी जानी चाहिए। उन्होंने देश कि नई शिक्षा नीति में एक हिस्से के रूप में स्कूलों में भारतीय सांकेतिक भाषा को एक विषय के रूप में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
पचास लाख लोग बधिर हैं
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने यह विचार आज वीरवार को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् भारत, चंडीगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय यूसुफ हामिद रसायन विज्ञान शिविर में संबोधित करते हुए प्रगट किए। उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में लगभग पचास लाख लोग बधिर हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि करनाल में डॉ. अलका राव की टीम द्वारा शुरू की गई एस्ट्रोनॉमी लैब बहुत अच्छा काम कर रही है। बधिर छात्र अब सांकेतिक भाषा में अंतरिक्ष और तारों के बारे में सीख रहे हैं।
अनुदान राशि प्रारम्भ की
उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया प्रौद्योगिकी के इर्द-गिर्द काम कर रही है तो छः करोड़ तीन लाख जैसे बड़े समुदाय को प्रौद्योगिकी क्षेत्र से बाहर कैसे रखा जा सकता है। इसके लिए प्रौद्योगिकी शिक्षण को समावेशी बनाने के बारे में सोचने के लिए सीएसआईआर को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार रेड क्रॉस एवं भारत सरकार की कम्पनी एलिमको के माध्यम से 2023 में विभिन्न स्थानों पर लगे कैंपेन में लगभग दो हजार बधिर दिव्यांगज़न को निशुल्क श्रवण यंत्र प्रदान किए गए। इस वर्ष लगभग पांच हजार नए मूक-बधिर दिव्यांगज़नों की ऑनलाइन दो हजार सात सौ पचास रुपये प्रति माह की अनुदान राशि प्रारम्भ की गई है।
यूसुफ हामिद रसायन विज्ञान शिविर में भारत सरकार के सचिव राजेश अग्रवाल, आइएमटेक, सीएसआईआर के निदेशक संजीव खोसला, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री यू के-इंडिया के प्रबंध निदेशक अजीत के शर्मा ने भी अपने विचार रखे।