कहा, पहले से ही पिंजौर वासी पेरीफेरी एक्ट और धारा 7ए का दंश झेल रहे
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बढ़ाया इको सेंसेटिव जोन का एरिया, लोग अपनी ही जमीन पर नहीं कर पाएंगे कोई काम
नवराज टाइम्स नेटवर्क
पिंजौर 14 नवंबर। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 11 नवंबर को अधिसूचना जारी कर सुखना इको सेंसेटिव जोन का एरिया 1 किलोमीटर से बढ़ाकर 2 किलोमीटर कर देने से पिंजौर क्षेत्र के गांव प्रेमपुरा, सुखो माजरी, धमाला , लोहगढ़, मानकपुर ठाकुरदास, सूरजपुर, चंडी मंदिर कोटला, दर्रा खरौनी, रामपुर इस संवेदनशील क्षेत्र में आ गए हैं। अधिसूचना जारी होने के बाद गांव वासी अपनी ही जमीन पर व्यवसाय या निर्माण या अन्य कोई भी काम नहीं कर पाएंगे।
जमीनों का मुआवजा दिया जाए
इस अधिसूचना का कड़ा संज्ञान लेते हुए शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष एवं हरियाणा कांग्रेस पूर्व प्रदेश सचिव विजय बंसल एडवोकेट ने केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को ज्ञापन भेज कर इको सेंसेटिव जोन में शामिल किए गए कालका, पिंजौर के गांव के प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पूर्व वर्ष 2016 में जारी अधिसूचना के बाद खोल हाय रायतन इको सेंसेटिव जोन में आए गांवो की जमीनों का मुआवजा भी ग्रामीणों को दिया जाए।
बिना मुआवजा दिए जमीन का जबरन अधिग्रहण
विजय बंसल एडवोकेट ने ज्ञापन में केंद्र के मंत्रालय को लिखा है कि सुखना वन्य जीव के संवेदनशील क्षेत्र को बढ़ाने से ग्रामीणों की निजी जमीन भी इसकी जद में आ गई है। अब ग्रामीण इको सेंसेटिव जोन में जमीन को ना तो बेच पाएंगे, ना ही इसे कमर्शियल रूप से प्रयोग कर पाएंगे और ना ही उसे पर कोई निर्माण कर पाएंगे ना ही कोई अन्य काम कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले ही पिंजौर, कालका क्षेत्र के लोगो पर पेरीफेरी एक्ट और धारा 7 ए की तलवार लटकी हुई है। अब इको सेंसेटिव जोन की एक और मार उन पर आन पड़ी है। विजय बंसल ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार का इको सेंसेटिव एरिया बढ़ाने का यह कदम बिना कोई मुआवजा दिए जमीन का जबरन अधिग्रहण करने के बराबर है। इसलिए लोगों को उनकी जमीनों का उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
काम करने का अधिकार नहीं रहा
विजय बंसल एडवोकेट ने कहा कि इससे पूर्व भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 24 अक्टूबर 2016 को अधिसूचना जारी कर रायतन क्षेत्र की वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी बीड़ शिकार गाह के साथ लगते खोल हाय रायतन वन क्षेत्र की सीमा से 975 मीटर तक इको सेंसेटिव जोन का दायरा बढ़ा दिया था। जिसके दायरे में आसपास के गांव फिरोजपुर, दूधगढ़, धदवाली, कदयनी, मांधना, सिसराम, जाकारी, चौधरी वास, धातार, जाला, अम्बवाला, कोटियां, बुर्ज टांडा, गुमथला आ गए थे। वहां के लोगों का अपनी ही जमीन पर कोई भी काम करने का अधिकार नहीं रहा है। यह लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। इसलिए सुखना इको सेंसेटिव जोन और खोल हाय रायतन क्षेत्र के इको सेंसेटिव जोन में आई जमीनों का ग्रामीणों को उचित मुआवजा दिया जाए।
उबड़ खाबड़ क्षेत्र में सिंचाई के साधन नहीं
बंसल ने कहा कि सरकार द्वारा वनों को बढ़ावा देना और वन्य जीवों की बढ़ोतरी के लिए कदम उठाया जाना सही है लेकिन उन गरीब लोगों की और भी सरकार को ध्यान देना चाहिए जिन लोगों की जमीने इको सेंसेटिव जोन के दायरे में आ जाती हैं। वैसे भी पिछले कई वर्षों से राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रहा पूरा कालका अर्थ पहाड़ी क्षेत्र है। यहां पर रोजगार के साधन नहीं है। लोगों के पास छोटी-छोटी जमीने है इस उबड़ खाबड़ क्षेत्र में सिंचाई के साधन नहीं के बराबर है। पिछले लंबे समय से लोग पेरीफेरी एक्ट को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं बावजूद इसके हरियाणा सरकार ने 4 वर्ष पूर्व धारा 7 ए लगाकर लोगों को उनकी जमीनों की खरीद फरोख्त के अधिकार से वंचित कर दिया था। उन्होंने कहा कि शिवालिक विकास मंच पिछले कई वर्षों से काले कानून पेरीफेरी एक्ट को खत्म करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
पेरीफेरी एक्ट लागू कर दिया था
विजय बंसल एडवोकेट ने बताया कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 1996 में पिंजौर और साथ रखते कई गांवों को नगर पालिका क्षेत्र घोषित किया था जिसमें शामिल सभी गांवों को पेरीफेरी एक्ट से निजात मिली थी लेकिन सरकार ने मार्च 2010 में पिंजौर कालका क्षेत्र को पंचकूला नगर निगम में शामिल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने पुनः नवंबर 2011 को अधिसूचना जारी कर क्षेत्र में फिर से पेरीफेरी एक्ट लागू कर दिया था। उक्त अधिसूचना के विरुद्ध शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने वर्ष 2017 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कालका क्षेत्र के 102 गांवो को पेरीफेरी एक्ट की अधिसूचना से निकाल दिया था। अभी भी 52 गांव शेष बचे हैं जिनकी लड़ाई शिवालिक विकास मंच बड़ी मजबूती से लड़ रहा है।
पिंजौर, कालका क्षेत्र वासियों पर कुठाराघात
विजय बंसल ने कहा कि इतना ही नहीं नगर निगम और नगर निगम से निकलकर वर्ष 2020 में बनाए गए नगर परिषद कालका, पिंजौर क्षेत्र में पेरीफेरी एक्ट लागू नहीं था लेकिन 4 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने धारा 7 ए लगा दी जिससे पुराने नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर नगर परिषद शहरी क्षेत्र में शामिल लगभग 80 अनियमित कॉलोनियो में जमीनों की रजिस्ट्रीयो पर प्रतिबंध लगा हुआ है जो प्रदेश सरकार द्वारा पिंजौर, कालका क्षेत्र वासियों पर कुठाराघात है।
विजय बंसल एडवोकेट ने कहा कि अब तो हरियाणा में और केंद्र में भाजपा सरकार है कालका से भाजपा का विधायक निर्वाचित हुआ है और नगर परिषद में भी भाजपा का ही अध्यक्ष है बावजूद इसके पेरीफेरी एक्ट, धारा 7 ए से लोगों को राहत नहीं दी गई बल्कि ऊपर से इको सेंसेटिव जोन जैसी अधिसूचनाएं जारी कर क्षेत्र को विकास के मामले में पिछड़ा बनाया जा रहा है। विजय बंसल एडवोकेट ने कहा कि शिवालिक विकास मंच कालका विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए पिछले कई दशकों से लड़ाई लड़ता आ रहा है जो आगे भी जारी रहेगी।