राज्यपाल ने चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों के साथ किया संवाद
नवराज टाइम्स
सिरसा,27 मईः हरियाणा के महामहिम राज्यपाल एवं चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय में विभिन्न शैक्षणिक सेंटरों का उद्घाटन किया। टैगोर भवन एक्सटेंशन लेक्चर थियेटर में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचने पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक ने राज्यपाल का स्वागत किया । राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवी लाल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
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हैंडबुक ऑफ इन्फोर्मेशन का विमोचन
इस अवसर पर राज्यपाल ने प्रदेश के पहले सेंसस डाटा रिसर्च वर्क स्टेशन, यूनिवर्सिटी साइंस इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर, यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर कॉम्पिटिटिव एग्जामिनेशन सेंटर के अलावा शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दाखिलों से संबंधित हैंडबुक ऑफ इन्फोर्मेशन का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत की नामी हस्तियां शैक्षणिक संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं, लेकिन आर्थिक सहायता लेने से पूर्व शैक्षणिक संस्थानों को समाज हित, राष्ट्र हित के साथ-साथ उद्योगिक जगत की मांग के अनुरूप प्रपोजल तैयार करना होता। उन्होंने कहा कि स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हास्पिटैलिटी आदि जैसे एजुकेशन प्रोग्राम प्रारंभ किये जाने चाहिए ताकि विद्यार्थियों को उद्यमी बनाया जा सके।
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मातृभाषा पर भी मजबूत पकड़
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा के विश्वविद्यालयों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए चरणबद्ध तरीके से कार्य करना होगा ,ताकि राज्य सरकार का 2025 तक नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू करने का विजन पूरा हो सके। मातृभाषा से हमें सदैव जुड़कर रहना चाहिए और अन्य भाषाओं के साथ-साथ मातृभाषा पर भी हमारी मजबूत पकड़ होनी चाहिए।
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स्किलिंग व रि-साइकिलिंग की अवधारणा
उन्होंने विश्वविद्यालय की फैकल्टी को इनोवेटिव शैक्षणिक कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में जितना अधिक गुणवत्तापरक शोध कार्य होगा उतना ही राष्ट्र का विकास सुनिश्चित होगा। उन्होंने तकनीक और विशेष तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स पर आधारित शिक्षा तकनीक अपनाने की सलाह प्राध्यापकों को दी। उन्होंने कहा कि भारत भर में तीन करोड़ से अधिक नौकरियाँ स्किल्ड प्रोफेशनल्स की कमी की वजह से रिक्त पड़ी हैं और इस गैप को पूरा करने की जिम्मेदारी शैक्षणिक संस्थानों की बनती है। उन्होंने फैकल्टी ट्रेनिंग के साथ-साथ स्किलिंग व रि-साइकिलिंग की अवधारणा पर भी जोर दिया। उन्होंने प्राध्यापकों को विद्यार्थियों के लिए आदर्श बनने की सलाह दी ।
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