युद्ध देखने के लिये क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग आते हैं
नवराज टाइम्स नेटवर्क
अल्मोड़ा,2 नवम्बर। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के ताकुला विकासखण्ड अंतर्गत पाटिया गाँव में शनिवार को गोवर्धन पूजा के मौके पर बग्वाल का आयोजन हुआ। बग्वाल में प्रतीकात्मक पाषाण युद्ध होता है, जिसमें 2 दल एक दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं और जिस दल से पहले कोई योद्धा नदी का पानी पी लेता है वह दल विजयी माना जाता है। क्षेत्र में सदियों से चली आ रही बग्वाल खेलने की प्रथा इस बार भी पूरे रीति रिवाज के साथ मनाई गई।
देखने के लिये दर्जनों गांवों के लोग आते हैं
इस बग्वाल में चार गांव के योद्धा हिस्सा लेकर सदियों पुरानी परम्परा को कायम रखते हुए पत्थर युद्ध खेलते हैं। कुछ समय तक चला यह तक युद्ध किसी पक्ष के बग्वाल खेल रहे योद्धा द्वारा नदी में पानी पीने के बाद शांत हो जाती है। पाटिया क्षेत्र के पचघटिया में खेले जाने वाले इस बग्वाल में पाटिया, भटगांव, जाखसौड़ा और कसून के ग्रामवासी हिस्सा लेते हैं। इसे देखने के लिये क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग आते हैं। पाटिया और कोट्यूड़ा के बीच मूलतः खेले जाने वाले इस युद्ध में कोटयूड़ा के साथ कसून और जाखसौड़ा तथा पाटिया के साथ भटगांव के योद्धा भाग लेते हैं।
युद्ध का आगाज कब से और किस कारण हुआ
पत्थर युद्ध का आगाज पाटिया गांव के अगेरा मैदान में गाय खेत में गाय की पूजा के साथ होता है। मान्यता के अनुसार पिलख्वाल खाम के लोग चीड़ की टहनी खेत में गाड़कर बग्वाल की अनुमति मांगते हैं। इसके बाद स्थानीय पचघटिया नदी के दोनों ओर से दोनों दल एक दूसरे के ऊपर पत्थर फेंकते हैं और दोनों पक्षों में पहले नदी में जाकर पानी पीने के लिये संघर्ष होता है। किसी एक पक्ष के व्यक्ति के नदी में जाकर पानी पी लेने के बाद यह बग्वाल समाप्त हो जाती है। इसके बाद बग्वाल खेल रहे लोग एक दूसरे को बधाई देकर अगले वर्ष फिर बग्वाली के दिन मिलने का वादा कर विदा लेते हैं। वर्षों से चली आ रही यह परिपाटी जारी है लेकिन युद्ध का आगाज कब से और किस कारण हुआ इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
40 मिनट तक चले इस अनूठे पाषाण युद्ध में कई चोटिल भी हुए। कोट्यूड़ा की ओर से रणबाकुरों के पचघटिया में पानी पीने के साथ ही बग्वाल का समापन हो गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने पानी पिया। दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे पर पानी छिड़कने के साथ ही बग्वाल का समापन हो गया।