मजदूर कल्याण बोर्ड में पनप रहे भ्रष्टाचार का ट्रेड यूनियन ने किया खुलासा

न्यूनतम वेतन 26000 करते हुये ईएसआई पीएफ की श्रेणी में शामिल किया जाये

By. राजकुमार सिंह
चंडीगढ़, 24 अगस्त। ट्रेड यूनियन सीटू के अधीन संयुक्त निर्माण मजदूर मोर्चा हरियाणा ने निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड में पनप रहे भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं। यूनियन नेताओं का आरोप है कि मजदूरों के कल्याण के उद्देश्य गठित इस बोर्ड में दिनोंदिन बढ़े रहे भ्रष्टाचार के चलते मजदूर वर्ग अपने हितों से वंचित है और निरंतर शोषित हो रहे हैं।

आधे मजदूर पंजीकृत नहीं

शनिवार को चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान सीटू के प्रदेश अध्यक्ष सुखबीर सिंह और महासचिव राममेहर सिंह, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष धर्मबीर लौहान, महासचिव कृष्ण नैन, एटक के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह और महासचिव विनोद दडोली सहित अन्य यूनियन लीडरों ने बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड का गठन 2005 में हुआ था और अभी तक 18 साल बीत जाने के बावजूद भी आधे मजदूर पंजीकृत नहीं हुये हैं।


भ्रष्ट तरीके से अपनों को लाभ
यूनियन लीडरों का तर्क था कि प्रदेश भर में 22 लाख से अधिक निर्माण मजदूर है। यदि मनरेगा को जोड़ दिया जाये तो यह गणना लगभग तीस लाख हो सकती है। बोर्ड में मजदूरों के उत्थान के लिये जमा लगभग 4500 करोड़ रुपये के बावजूद भी सरकार मजदूरों को उनको दी जाने वाली सुविधाओं से वंचित रख रही है। उन्होंनें आरोप जड़े कि इसके साथ साथ बोर्ड के कर्मचारी फैमिली आईडी कार्ड में छेड़छाड़ करके भ्रष्ट तरीके से अपनों को लाभ दे रहे हैं।

अव्याव्स्था के विरोध में आंदोलन

उन्होंने कहा कि बोर्ड सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का केन्द्र बन चुका है जिसका सीधा खमियाजा मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। उन्होनें कहा कि यह घोटाला उजागर होने के बावजूद भी बोर्ड कार्यवाही करने की बजाय अपने कर्मचारियों को बचाने में लगी हुई है। यूनियन लीडरों ने चेताया कि ऐसी अव्याव्स्था के विरोध में एक बड़े आंदोलन का मन बना चुके हैं जिसमें प्रदेश के समस्त मजदूर भागीदारी बनेंगें।
योग्यता के आधार पर पदोन्नति  
प्रदेश में सीटू के अधीन लगभग बीस हजार हड़ताली आशा वर्कर्स ने भी अपने आंदोलन की अवधि 29 अगस्त तक बढ़ा दी है। आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश महासचिव सुनीता और कोषाध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि सरकार उनकी आय में बढ़ोतरी नहीं कर रही है। कर्मचारी का दर्जा मिलने के साथ साथ न्यूनतम वेतन 26000 करते हुये ईएसआई पीएफ की श्रेणी में शामिल किया जाये। इसके साथ रिटायरमेंट की उम्र 65 साल की जाये और योग्यता के आधार पर पदोन्नति  की जाये। 

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