जल संरक्षण: किसानों को जागरूक करने के लिए चलाया जाए अभियान- मनोहर लाल

मुख्यमंत्री ने किसानों से की अपील, इस बार भी धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की करें खेती

नंद सिंगला 

पंचकूला 26 अप्रैल – हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज पंचकूला में हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित 2 दिवसीय जल संगोष्ठी – अमृत जल क्रांति के पहले दिन के समापन सत्र में  किसानों से अपील की है कि जल संरक्षण के लिए पिछले साल की तरह इस साल भी धान की जगह कम पानी वाली खपत की फसलों की खेती करें। साथ ही, जिन क्षेत्रों में धान के अलावा अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती नहीं होती है, उन क्षेत्रों में किसान डीएसआर पद्धति से धान की बुवाई करें जिससे लगभग 50 प्रतिशत पानी की बचत होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। इन समर्पित प्रयासों से निश्चित तौर पर हरियाणा में जल को बचाने की दिशा में सार्थक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को धान के स्थान पर कम पानी वाली फसलों जैसे बाजरा, कपास और मक्का इत्यादि की बुवाई को अपनाना चाहिए।   

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई संस्था या कोई सरकारी संगठन भी यदि हरियाणा में प्राकृतिक खेती के डेमोंस्ट्रेटिंग फार्म तैयार करने के लिए आगे आएगी तो राज्य सरकार की ओर से उन्हें 50 या 100 डेमोंस्ट्रेटिंग फार्म तैयार करने के लिए जमीन मुहैया करवाएगी। वह संस्था सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग, पेस्टिसाइड का कम उपयोग करके, कम पानी की खपत वाली फसलों की खेती करने जैसे विभिन्न उपायों को अपनाकर प्राकृतिक खेती करेगी। किसानों को यह डेमोंस्ट्रेटिंग फॉर्म दिखाएं जाएंगे, ताकि उन्हें प्राकृतिक खेती को अपनाने की ओर प्रेरित किया जा सके। 

 सिंचाई के लिए 24 एमएएफ पानी की आवश्यकता

सीएम ने कहा कि पीने के पानी तथा अन्य उपयोगों को मिलाकर भी पानी की खपत सिंचाई में अधिक होती है। हरियाणा में 80 लाख एकड़ भूमि कृषि योग्य है, यदि औसतन दो फसलें भी लेते हैं और औसतन तीन बार पानी लगाते हैं, तो सिंचाई के लिए 24 एमएएफ पानी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने के अलावा आज दूसरी आवश्यकता पानी को रिसाइकल करके उसका उपयोग को बढ़ाने की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मेरा पानी- मेरी विरासत के तहत धान की उपज की बजाए अन्य फसलों की खेती के लिए किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं। 

मोटे अनाज को पीडीएस से जोड़ने पर विचार

मुख्यमंत्री ने कहा कि मोटे अनाज को बढ़ावा देने हेतू राज्य सरकार ने 3 महीने के लिए पीडीएस के माध्यम से डिपो पर बाजरे की सप्लाई के लिए अनुमति ली। हमें 5 महीने की अनुमति मिल गई थी कि लेकिन बाजरे की उपलब्धता उतनी नहीं थी। इसके अलावा, पीडीएस में मक्का को भी जोड़ने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय मोटे अनाज की फसलों में से राज्य में सबसे अधिक मात्रा में कौन कौन सी फसलें पैदा की जा सकती, इस पर अनुसंधान करें। विशेषज्ञों द्वारा पानी को बचाने व सिंचाई में पानी की खपत को कम करने के लिए विभिन्न सुझाव दिए गए।

इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह, विधायक डॉ अभय सिंह यादव, मुख्य सचिव संजीव कौशल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।