अग्नि का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया
By. कुलदीप सिंह
हरिद्वार,24नवंबर। जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अनंत विभूषित स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की आचार्य पीठ पर पदस्थापन के दिव्य 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर श्री दत्त जयंती पर हरिहर आश्रम हरिद्वार में दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव का शुभारंभ आज से हो चुका है। इस “दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव” के प्रथम दिवस पर आज पूज्य “आचार्यश्री जी”की पावन उपस्थिति में पंचदेव महायज्ञ आरम्भ हुआ, जिसका शुभारम्भ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने अरणी मंथन के साथ किया।
दिव्य सूत्रों का अनावरण किया
इसके पश्चात प्रातः 10 बजे से श्री हरिहर आश्रम के मृत्युंजय मंडपम् में “वैदिक सनातन धर्म में समष्टि कल्याण के सूत्र” विषय पर “धर्मसभा” का आयोजन किया गया। संघ के प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत द्वारा ओजपूर्ण उद्बोधन किया गया। अपने उद्बोधन में उन्होंने समष्टि कल्याण के सूत्रों में माता पृथ्वी के रक्षण और संवर्द्धन, प्राकृतिक संसाधनों के विवेक पूर्ण उपभोग, सतत विकास की अवधारणा एवं दान और त्याग की प्रवृत्तियों जैसे कई दिव्य सूत्रों का अनावरण किया गया।
प्रयास के लिए सम्मानित किया
इस अवसर पर पूज्य “आचार्यश्री” जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज द्वारा रचित प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित चार पुस्तकें का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल के प्रमुख दिलीप पाठक को उनके द्वारा देश को स्वच्छ बनाने हेतु किए गए अद्वितीय प्रयास के लिए सम्मानित किया गया।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बल
योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि संपूर्ण धर्मों का निचोड़ सनातन धर्म में ही निहित है और आने वाले कुछ सालों में भारत आर्थिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामरिक शक्ति का केंद्र बन जाएगा। इस अवसर पर चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हम भारतीयों के चरित्र में भौतिक बल के साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बल भी हो।
इस अवसर पर साध्वी निरंजन ज्योति ने राम मंदिर का निर्माण इस दशक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। कार्यक्रम के विशिष्ट अथिति हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संत समाज की महिमा पर प्रकाश डालते हुए संतों की विचारधारा को अग्रसरित करने के लिए साधकों का एवं सामाजिक बुराईयों के अंत के लिए संत समाज का आह्वान किया।