हर की पौड़ी पर आयोजित गंगा पूजन के कार्यक्रम में की मां गंगा की पूजा

पवित्र छड़ी व मां गंगा की पूजा अर्चना की तथा मां गंगा का दुग्ध अभिषेक कर यात्रा की सफलता की कामना की

By. कुलदीप सिंह
हरिद्वार,29अक्टूबर। हरिद्वार श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी ने रविवार को हर की पौड़ी पर श्री गंगा सभा के तत्वावधान में आयोजित गंगा पूजन के कार्यक्रम में मां गंगा की पूजा अर्चना की। इसके साथ ही यात्रा की सफलता व देश की प्रगति विकास एवं उत्तराखंड की उन्नति के लिए प्रार्थना की।

मां गंगा का दुग्ध अभिषेक
नगर परिक्रमा के कार्यक्रम अनुसार पवित्र छड़ी जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरी गिरि महाराज, अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज, दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के नेतृत्व में साधु संतों नागा संन्यासियों तथा श्रद्धालुओं के साथ नगर के प्रमुख बाजारों से होती हुई हर की पौड़ी पहुंची, जहां श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम महामंत्री तन्मय वशिष्ठ स्वागत अध्यक्ष सिद्धार्थ चक्रपाणि गंगा घाट व्यवस्थापक वीरेंद्र कौशिक सभापति कृष्ण कुमार ठेकेदार ,समाज कल्याण मंत्री विकास प्रधान ,गंगा सेवा दल के अध्यक्ष उज्ज्वल पंडित, अविनाश श्रोत्रिय आदि ने पवित्र छड़ी तथा संतों का पुष्प माला से स्वागत कर पूजन किया। ब्राह्मणों द्वारा पवित्र छड़ी व मां गंगा की पूजा अर्चना की तथा मां गंगा का दुग्ध अभिषेक कर यात्रा की सफलता की कामना की।
रोजगार के अवसर उपलब्ध हो
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज तथा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा यह पवित्र छड़ी यात्रा विगत 4 वर्षों से उत्तराखंड की उन्नति प्रगति विकास तथा उत्तराखंड के पौराणिक तीर्थ की गरिमा बनाए रखने के लिए यात्रा कर रही है। इसका उद्देश्य उत्तराखंड के उपेक्षित व गुमनाम पौराणिक तीर्थ स्थलों का विकास कर तीर्थाटन को बढ़ावा देना है ताकि इन क्षेत्रों से पलायन रुक सके और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके।


इस अवसर पर अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी, श्रीमहंत पुजारी सुरेशानंद सरस्वती, श्रीमहंत पूर्णागिरि, श्रीमहंत पुष्कर गिरी, श्रीमहंत शिव दत्त गिरी, श्रीमहंत पशुपति गिरी आदि उपस्थित थे।