550 साल पुराने मंदिर में स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग, खाली नहीं जाती मुराद : चन्द्रमोहन

संवत 1592 में महाराजा पटियाला ने मंदिर बनवाया

नवराज टाइम्स नेटवर्क 

राजपुरा ,10 अप्रैल : यहां से करीब आठ किलोमीटर दूर बसे गांव नलास में 550 वर्ष पुराना प्राचीन शिव मंदिर है। इसमें हर चौदस, महाशिवरात्रि व श्रावण माह में विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिव मंदिर नलास में किसी भी श्रद्धालु द्वारा शिवलिग स्थापित नही किया गया बल्कि स्वयं शिवलिग प्रकट हुआ था।

भगवान भोलेनाथ का 550 साल पुराना मंदिर देखिए, यहां शिवलिंग खुद प्रकट हुआ था और मान्यता ऐसी है कि भक्तों की कोई मुराद खाली नहीं जाती। ऐसी मान्यता है कि यहां स्वयं शिवलिंग प्रकट हुआ था। किवंदती है कि गांव नलास में एक गुज्जर के पास कपिला गाय( नंदनी )थी। जब वह जंगल में चरने जाती और घर वापस आने से पहले एक झाड़ी के पीछे जाने से उसका दूध अपने आप बहना शुरू हो जाता था। वह थन खाली होने के बाद ही वापस घर आती। एक दिन गाय के मालिक गुज्जर ने क्रोध में आकर उस झाड़ी की खुदाई आरंभ कर दी।

खुदाई करते समय वहां निकले शिवलिंग पर कस्सी के प्रहार से खून की धार बह निकली। कहा जाता है कि उस समय वट वृक्ष के नीचे स्वामी कर्मगिरी तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या भंग हो गई  और क्रम गिरी की समाधि खुल गई | उन्होंने भगवान शंकर के दर्शन किये उन्होंने ग्वालों व गाँव वालो को बताया यहाँ पर स्वयं भू महादेव शिवलिंग प्रकट हुए हैं और उसी महाराजा दिराज को पटियाला को 

आकाशवाणी से आज्ञा हुई उस स्थान पर भगवान शंकर का मन्दिर बनाया जाए | महाराजा पटियाला के पुछने पर आकाशवाणी ने उतर दिया हे राजन आप कल सुबह अपना हाथी छोड़े जिस जगह पर हाथी जा कर रुकेगा वहाँ पर मन्दिर का निर्माण किया जाए|

 सुबह राजा ने ऐसा ही कुछ किया और जहां पर हाथी रुका वहां पर खुदाई करवाई तो शिवलिंग प्रकट हुआ। संवत 1592 में महाराजा पटियाला ने मंदिर बनवाया व कर्मगिरी को मंदिर का महंत नियुक्त किया गया।  इसके बाद मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हुई और आज भी लोग देश के कोने कोने से भारी संख्या में  मंदिर में पहुंचकर भोलेनाथ के दर्शन करते हुए जलाभिषेक करते हैं | 

 इस दौरान पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन के साथ में वरिष्ठ कांग्रेस नेता व 

एडवोकेट नवीन बंसल,वरिष्ठ कांग्रेस नेता संदीप जलौली व अन्य भी साथ थे |