फूलों की वर्षा के साथ 20 मई को खुले थे कपाट
अनिल सत्ती
देहरादून/चमोली,21 मई। बर्फीली झील के किनारे एवं समुद्र तल से करीब 4632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने के साथ ही आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। वहीं प्रशासन ने श्रद्धालुओं को दर्शन करने के बाद वापिस लोटने और जरूरी सावधानियां बरतने के निर्देश भी जारी किए हैं। वहीं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए के लिए आर्मी के जवानों द्वारा रास्ता बनाने का सराहनीय कार्य किया है।
महक उठा हिमालय पर्वत
आपको बता दे कि हिमालय पर्वत पर स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट करीब सात महीने के बाद 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। श्रद्धालुओं की शोभा यात्रा को सुबह चार बजे गोबिंद धाम से शुरू होकर श्री हेमकुंड साहिब पहुंची। सुबह करीब साढ़े दस बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पहुंचते ही सुखमनी साहिब का पाठ शुरू किया गया। इसके बाद कीर्तन का आयोजन किया गया और इस धार्मिक कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने बड़ी श्रद्धा व आस्था के साथ भाग लिया। श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने के दौरान गुरुद्वारा साहिब को विभिन्न किस्मों के फूलों और रंगीन लाइटों से खूब सजाया गया था और कपाट खुलने के समय आर्मी के जवानों ने फूलों की वर्षा की गई,जिससे बर्फ से ढका हिमालय पर्वत फूलों की खुशबू से महक उठा था।
बर्फीले पहाड़ काटकर बनाया रास्ता
आपको बता दे कि यहां साल भर बर्फ रहती है और सर्दी के मौसम बीत जाने के बाद भी बर्फ देखी जाती है। ऐसे में श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने से पहले आर्मी के जवान तैयारियों में जुटे हुए थे। पिछले महिने तक यहां करीब 20 फिट उंची बर्फ की परत बनी हुई थी। आर्मी के जवानों ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बर्फ के पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाने का काम किया था। लेकिन इस बार अप्रैल महीने तक बर्फबारी होने के कारण जवानों को बर्फ काट कर रास्ता बनाने में ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आपको बताते चले कि सर्दी के मौसम में श्री हेमकुंड साहिब के कपाट दर्शनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।